चालीहा साहिब महोत्सव में उभरी श्रद्धा और स्वदेशी भावना


चालीहा साहिब महोत्सव में महिलाओं द्वारा भगवान झूलेलाल के भक्ति गीतों के साथ जो ऊर्जा देखने को मिली, वह बेहद प्रेरक थी। भीड़ का हिस्सा बनकर अनुभव हुआ कि लोग केवल परंपरा का पालन नहीं कर रहे थे, बल्कि हर गीत और भांगड़े की धुन में उनकी श्रद्धा और उत्साह झलक रहा था। यह दृश्य दिखाता है कि हमारा समाज अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ा होने के साथ-साथ राष्ट्रहित के लिए भी एकजुट हो सकता है।

भक्ति और एकता का संदेश
सिंधु सभा के अध्यक्ष अशोक मोतियानी ने लोगों से अपील की कि वे विदेशी सामानों का बहिष्कार करें और अपने प्रतिष्ठानों पर भी इन वस्तुओं को जगह न दें। इस संदेश ने महसूस कराया कि यह केवल व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि सामूहिक संकल्प है।

स्वदेशी अपनाओ – देशी दीये जलाओ
चेट्टी चंद मेला कमेटी के अध्यक्ष रतन मेघानी और अन्य पदाधिकारियों ने भी मिलकर "विदेशी छोड़ो, स्वदेशी अपनाओ" का संदेश दिया। दीपावली के उदाहरण के साथ उन्होंने बताया कि इस बार सिन्धी समाज न तो चीन के झालर और मूर्तियाँ खरीदेगा, न कोई सजावटी सामान, बल्कि देशी दीये जलाएंगे। यह छोटा बदलाव हमारी संस्कृति को संरक्षित करने और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है।

समाज की एकता और राष्ट्रवाद

महोत्सव में उपस्थित लोगों ने स्पष्ट किया कि जो देश भारत के खिलाफ खड़ा होगा, उसके उत्पादों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा और वहाँ यात्रा नहीं की जाएगी। इस घोषणा ने यह साबित किया कि जब समाज मिलकर ठोस निर्णय लेता है, तो उसकी शक्ति दूर तक महसूस की जा सकती है।

क्यों है यह महोत्सव खास?
चालीहा साहिब महोत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठान या उत्सव नहीं है। यह एक ऐसा मंच है जहाँ श्रद्धा, संस्कृति और देशभक्ति का संगम देखने को मिलता है। यहाँ न केवल हमारी परंपराएँ जीवित हैं, बल्कि समाज का स्वदेशी और राष्ट्रहित के प्रति दृढ़ संकल्प भी झलकता है।