“"जीवन का सबसे बड़ा धर्म है मानवता।"2”
— प्रेमचंद
                
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            “"जीवन का सबसे बड़ा धर्म है मानवता।"2”
— प्रेमचंद
“नेति नेति अर्थ: “यह नहीं, यह नहीं।” यह दार्शनिक वाक्य हमें आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर ले जाता है, जहाँ हम व्यवस्थित रूप से उन सभी चीज़ों का निषेध करते हैं जो परम सत्य नहीं हैं। यह हमें याद दिलाता है कि सच्ची वास्तविकता हर रूप और परिभाषा से परे है।”
— उपनिषद्
“"जीवन का सबसे बड़ा धर्म है मानवता।"”
— प्रेमचंद
“"जीवन का सबसे बड़ा धर्म है मानवता।"”
— प्रेमचंद