द हिंदू टुडे, लंदन आपके लिए लाया है एक विशेष मुलाकात। आज हम आपको मिलवाएंगे एक ऐसे शख्स से, जिनका संबंध भारत की सांस्कृतिक धरोहर और अमेरिका के सबसे प्रभावशाली नामों से जुड़ा है।
हम बात कर रहे हैं मयंक बाजपेई जी की, जो विवेक रामास्वामी और उनकी पत्नी डॉ. अपूर्वा तिवारी के मामा हैं। कानपुर से गहरे नाते रखने वाले मयंक बाजपेई के लिए यह गर्व की बात है कि उनकी भांजी अपूर्वा और विवेक ने वैश्विक मंच पर भारत का नाम रोशन किया है।
विवेक रामास्वामी अब परिचय के मोहताज नहीं हैं। दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें अपनी भावी सरकार में डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) की जिम्मेदारी सौंपी है। विवेक, जो हिंदू संस्कृति और सनातन धर्म को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा मानते हैं, अब अमेरिकी युवाओं की आवाज बन चुके हैं।
हिंदू संस्कृति के सशक्त प्रतिनिधि
विवेक रामास्वामी केवल एक सफल उद्यमी और वक्ता नहीं, बल्कि हिंदू विचारधारा और सनातन मूल्यों के एक सशक्त दूत भी हैं। अमेरिका जैसे बहुसांस्कृतिक देश में रहते हुए भी उन्होंने अपनी जड़ों से गहरा लगाव बनाए रखा है।
विवेक अक्सर अपनी भारतीय विरासत और धर्म की सार्वभौमिक शिक्षाओं का उल्लेख करते हैं।उन्होंने बार-बार हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों जैसे धर्म, सत्य और कर्तव्य को अपनाने की बात की है।विवेक का कहना है कि हिंदू दर्शन ने उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने की प्रेरणा दी।
उनकी प्रसिद्ध पुस्तक "Woke, Inc." में उन्होंने पश्चिमी समाज में नैतिकता और जिम्मेदारी को लेकर गंभीर चर्चा की है, जिसमें वे सनातन मूल्यों को आधुनिक संदर्भ में प्रासंगिक बताते हैं। विवेक का यह मानना है कि हिंदू धर्म की सहिष्णुता और समग्र दृष्टिकोण आज की दुनिया को एक बेहतर भविष्य की ओर ले जा सकता है।
कानपुर से व्हाइट हाउस तक का सफर
कानपुर के सूटरगंज और साकेत नगर से लेकर अमेरिका के व्हाइट हाउस तक, यह कहानी महज एक परिवार की नहीं, बल्कि दो देशों के सांस्कृतिक और भावनात्मक जुड़ाव की है।
विवेक की पत्नी डॉ. अपूर्वा तिवारी का ननिहाल और ददिहाल दोनों कानपुर से जुड़े हैं।
अपूर्वा के पिता डॉ. आशुतोष तिवारी, माउंट सिनाई अस्पताल, न्यूयॉर्क में यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख हैं।विवेक और अपूर्वा ने अपनी पढ़ाई और आपसी समझ के जरिए एक ऐसा रिश्ता बनाया, जो भारतीय और अमेरिकी मूल्यों का मेल है।
विवेक: युवाओं की प्रेरणा
आज विवेक अमेरिकी युवाओं के लिए न केवल एक राजनेता हैं, बल्कि एक प्रेरणास्रोत भी हैं। उनकी संवाद कला, वैचारिक स्पष्टता, और सामाजिक मुद्दों पर गहरी समझ ने उन्हें एक सशक्त नेता के रूप में स्थापित किया है।
विवेक का कहना है कि "हिंदू धर्म का सबसे बड़ा संदेश कर्म और कर्तव्य है।"
वे भारतीय युवाओं को भी अपने सपनों का पीछा करने और अपनी संस्कृति पर गर्व करने का संदेश देते हैं।
विवेक का हिंदू नेता के रूप में उदय विवेक रामास्वामी की सोच वैश्विक है, लेकिन उनकी आत्मा हिंदू दर्शन से प्रेरित है। उनका विश्वास है कि धर्म और विज्ञान का समन्वय करके दुनिया को नई दिशा दी जा सकती है।
वे राजनीतिक और सामाजिक मंचों पर हिंदू मूल्यों को उजागर करते हुए एक संतुलित, नैतिक और प्रभावशाली नेतृत्व का उदाहरण बन गए हैं।
कानपुर के मयंक बाजपेई का यह कहना कि "विवेक ने सादगी और कर्म को जीवन का आधार बनाया है," यह बताता है कि कैसे उनकी सफलता की जड़ें भारतीय संस्कृति और शिक्षा में छिपी हैं।
आइए, इस खास बातचीत में जानते हैं कि कैसे विवेक रामास्वामी ने हिंदू संस्कृति और भारतीय मूल्यों को दुनिया के सामने एक नई पहचान दी और उन्हें एक वैश्विक नेता के रूप में उभारा।